तबस्सुम का स्वाद गज़ब है होठों पे मगर,
नमक आँसुओं के साथ गुज़रे,
शरबत-ए-ज़िन्दगी तुमको हो मुबारक,
अपना तो हर पल चटकारों के साथ गुज़रे।
मील के पत्थरों में खड़ी भीड़ है देखो,
पर सफ़र तो तन्हाईयों के साथ गुज़रे,
कभी न दो बूँद पानी हो होठों पे,
कभी तो चेहरे से देख बरसात गुज़रे।
अगर रास्ते फ़नाह हो फ़िर वो मंज़िल ही क्या,
अपना तो जीवन ही रास्तों के साथ गुज़रे,
चलना तो चलन है पथिक का दोस्तों,
कदम कदम उसकी एक नयी मुलाकात गुज़रे।
नमक आँसुओं के साथ गुज़रे,
शरबत-ए-ज़िन्दगी तुमको हो मुबारक,
अपना तो हर पल चटकारों के साथ गुज़रे।
मील के पत्थरों में खड़ी भीड़ है देखो,
पर सफ़र तो तन्हाईयों के साथ गुज़रे,
कभी न दो बूँद पानी हो होठों पे,
कभी तो चेहरे से देख बरसात गुज़रे।
अगर रास्ते फ़नाह हो फ़िर वो मंज़िल ही क्या,
अपना तो जीवन ही रास्तों के साथ गुज़रे,
चलना तो चलन है पथिक का दोस्तों,
कदम कदम उसकी एक नयी मुलाकात गुज़रे।