ज़िन्दगी की प्याली में उंगली डूबो कर
एक एक कर चाटो और ठेंगे तक पहुँचो।
चटकारे लो, डकारें लो, और जीभ डालकर
प्याली की तुम, हो सके तो पेंदे तक पहुँचो।।
विचलित बादल के विचरण के भीतर की
जमी हुई बारिश तक पहुँचो।
सूखे पत्तों के भीतर घिर आई
बूंदों की गुज़ारिश तक पहुँचो।।
दिल पर उभरी गांठो को जो
चाहिए उस थप थप थप थपकन तक पहुँचो।
सर पर बिखरे सफ़ेद बालों से
झांकते हुए बचपन तक पहुँचो।।
भागो मिलखा ज़रूर यहाँ तुम
पर कभी जम्हाईयों, अंगराईयों तक पहुँचो।
और कभी कहीं न पहुँचो तो
पहुँचने की तुम कोशिश तक पहुँचो।।
एक एक कर चाटो और ठेंगे तक पहुँचो।
चटकारे लो, डकारें लो, और जीभ डालकर
प्याली की तुम, हो सके तो पेंदे तक पहुँचो।।
विचलित बादल के विचरण के भीतर की
जमी हुई बारिश तक पहुँचो।
सूखे पत्तों के भीतर घिर आई
बूंदों की गुज़ारिश तक पहुँचो।।
दिल पर उभरी गांठो को जो
चाहिए उस थप थप थप थपकन तक पहुँचो।
सर पर बिखरे सफ़ेद बालों से
झांकते हुए बचपन तक पहुँचो।।
भागो मिलखा ज़रूर यहाँ तुम
पर कभी जम्हाईयों, अंगराईयों तक पहुँचो।
और कभी कहीं न पहुँचो तो
पहुँचने की तुम कोशिश तक पहुँचो।।