Wednesday, May 11, 2016

कभी घोंसले अपने सजा लेते तो अच्छा होता

कभी रूठी ज़िंदगी को मना लेते तो अच्छा होता
कभी घोंसले अपने सजा लेते तो अच्छा होता
यूँ तो काम बोहोत है करने को लेकिन
एक दिन यूँ ही गवाँ लेते तो अच्छा होता।।
पूछो नहीं क्या बनाया क्या पाया है हम ने
बस खुद को ही पा लेते तो अच्छा होता।
हवायें तो चलती ही रहतीं हैं हर रोज़ मगर
हर सांस में एक सांस समा लेते तो अच्छा होता।।
चलते ही रहना है ज़िंदगी का सबब
कुछ पुरानी गलियों को जा लेते तो अच्छा होता।
कितनों की मंजिलों को तो बनाया है अपना
कुछ अपनी भी मंजिलें बना लेते तो अच्छा होता।।
एक शाम आयेगी ज़िंदगी करने को हिसाब
कुछ धूप के भी पल बिता लेते तो अच्छा होता।
जीवन में जाने में ही बिताये कई बरस
कभी जीवन में आ लेते तो अच्छा होता।।