Thursday, December 15, 2011

Dreams

एक ख़्वाब की चौखट पे सर रख के अपना सो गए,

सोचा नहीं की ऐसे तो ख़्वाबों के और भी परिंदे उड़ जायेंगे!

न उलझे हुए यादों के टूटे से पिंजड़े, न कल की और बनते अधूरे से घोंसले,

बस आज ही के सपने और आज ही के ख़्वाब।

कभी पलकों के ऊपर उड़ते हुए ख़्वाब, कभी होठों के कोने पे लडखडाये से ख़्वाब

कभी क्यूंकि से ख़्वाब, कभी यूँही से ख़्वाब।

कभी माला में पिरोये हुए जीते से ख़्वाब,

कभी कल को छूटे हुए बीते से ख़्वाब,

कभी फूल में लिपटे हुए फूल से ख़्वाब,

कभी धुल में लिपटे हुए धुल से ख़्वाब।

ख़्वाबों को जिंदा रख, प्यारे हैं ख़्वाब,

जैसे भी हैं, हमारे हैं ख़्वाब।

Saturday, October 29, 2011

वक्त ने किया क्या...

चंद लम्हे बचे थे मुठ्ठी में, कुछ बह गए थे पानी से
संजोया उन्हें, संभाला उन्हें, की खर्च न हो जाये कहीं।
किताब के पन्नो के बीच, रखा उन्हें ये सोच कर
की सँभालते सँभालते सिलवटें न पर जाये कहीं।

सोचा नहीं एक पल भी ये, किताब भला वो कौन सी थी
इतिहास के पन्नो में भी लम्हे हो जाते हैं गुम।
गणित के गणित में भी लम्हे विलोम हो जाते हैं
फिर कौन सी वो किताब भला जहाँ लम्हे संभाले मैं और तुम।

बूक्शेल्फ़ के एक कोने में फिर,
संकोच में डूबी वो किताब दिखी,
जिसमे कहा था कवि ने एक ,
लम्हे युहीं बहाए जा, बस लम्हे यहाँ बहाए जा।

Saturday, October 1, 2011

Sweet 60!

What does 60 mean to you. The fact that each unforgiving minute is full of 60 long seconds and each eternal hour is pieced together by 60 unforgiving minutes notwithstanding, the fact remains that 60 is one of the most unglamorous numbers.


They decided that 50 is a half century and 100 makes you a hero. 60? Who cares for 60. The worst thing is, you retire at 60, making it one of the most dreaded number. Suddenly a virile man becomes old and irritable, or worse, irritating. A sultry aunty becomes a sulking grandma. Shit.


Do you think a song called Summer of 60 would have become famous. Guess not. And pray tell me what position can be called the 60 position, it would lead to nothing but boregasm!


However, as a friend said..."It reminds me of my morning TEA AT SIX" made me recall that every cloud has a silver lining.


When my Dad went to convince his dad that it was ok for a Bihari Rajput to marry a Bengali kayasta...he borrowed 240Rs from his friend...it was 4 months worth of his savings from, guess what, his earnings from tuitions of the princely sum of, yes sir, Rs.60! But for those 60 priceless rupees earned each month for four months, where would I be? A nameless, faceless, tadpole shaped, unicellular, uninteresting equivalent of space junk!


When Onion sold for 60...Governments fell!


Guess what people mean when they say make it large? Yup 60ml.


You know what they call a unhealthy collaboration in hindi... ६०-गाँठ!


You know the angles of a equilateral triangle...well they are of 60 degrees each and you superimpose two of these, it becomes...Star of David...the union of male and female...Yin and Yang! Don't underestimate mate!


My next post...number 2...when you fail to succeed...

Saturday, July 23, 2011

Chin Up!

कश्तियाँ तूफ़ान से डरतीं तो लहरों का आलिंगन कहाँ करतीं ।
ज़िन्दगी किनारों पे बैठ कर नहीं जिया करते ।
गर सांस का आना ज़िन्दगी है तो सांस का जाना भी ज़िन्दगी है ।
फेफड़ों में भरके हवा होंठ नहीं सिया करते ।
लौ अगर जली ही नहीं कि जल जाऊँगी, तो उसकी किस्मत में बस अँधेरा है ।
बुझे बुझे से दिये रौशनी नहीं दिया करते ।
धूप से डरता है तू तो उजाला क्या देखेगा ।
धूप के बिना तो पेड़ छाओं भी नहीं किया करते ।

Wednesday, May 4, 2011

Cyclic Reference - Much Ado About Nothing

The pullup ring that hangs down from the jackfruit tree still exists,though the rope is frayed,


The koel still sings atop the neem tree, all she needs to say is already said.


The drumsticks in season still flowers,


And the pomegranate falls in that well of ours.


Sparrows sometimes still fall in the well, no one drops a bucket to pull them out,


Poor souls thrash and gulp and drown, can't for help even shout.


Guava Rots and falls amidst thunder showers,


And chickens lay egg in that backyard of ours!


Friends walk past, don't even glance for fear,


They just might see some ghosts of those past years,


They bow their heads and walk past those flowers,


That still bud, in those rose bushes of ours.


Must move on, time can't stay...


Memories fade and hair turns gray.


Must learn to live life by the hour,


And fake it in our Ivory Towers!

Thursday, April 21, 2011

IF - रुडयार्ड किपलिंग की यादगार कविता

अगर सर अपना रख सको ऊँचा
जब सभी के सर नीचे हो और वजह तुम हो ये कहें,
जब खुद पे कर सको भरोसा उनके शक के दर्मेयाँ
और पूछ सको उनसे उनके शक की वजह भी।
जब कर सको इंतज़ार बिना थके, बिना रुके,
झूठ को जब तुम सच न बनाओ, और नफरत तुम्हारी फितरत न हो,
जब तुम ज़रुरत से ज्यादा न बनो, न दिखो। ।

जब तुम देखो सपने, पर उनमे खो न जाओ
जब तुम सोचो पर तुम्हारी सोच ही न मंजिल हो तुम्हारी,
जब सफलता और असफलता दोनों ही एक से लगे
और तुम्हारे सच का झूठ बनते देख सको तुम,
जब तुम्हारा पूरा जीवन तुम्हारे आगे बिखर जाये
और फिर टूटे हुए औजारों से उसे जोर सको तुम। ।

अगर अपनी तमाम ज़िन्दगी को जुए की तरह हार सको
और फिर से कर सको सुरुआत उसकी,
बिना कुछ कहे, कुछ सोचे।
और बेजान जिस्म को कह सको की थोडा और रुक के अभी
काम और भी हैं ज़माने में करने के लिए। ।

अगर भीड़ में भी उतने ही तुम तुम हो
और रजवारों में भी तुम तुम हो,
अगर न दोस्त, न दुश्मन तुम्हे हरा सकें
और हर इंसान तुम्हारा हो पर ज्यादा नहीं,
अगर हर मिनट में तुम रख सको लम्हों का हिसाब
दुनिया ये तुम्हारी है और तुम
हो गए हो बड़े मेरे बेटे । ।