Tuesday, August 1, 2017

शब्दों पे सवार मैं

शब्दों पे सवार मैं ,
घूम रहा सँसार मैं ,
पालकी भी मैं ही हूँ
और हूँ यहाँ कहार मैं।

चला तेज़ रफ़्तार मैं ,
कर चूका करार मैं,
अब नहीं रुकूँगा मैं
कि ढाल मैं, प्रहार मैं।

युद्ध कि पुकार मैं ,
योद्धा कि हुँकार मैं ,
हवा हूँ बेलगाम मैं
कि अश्व मैं, सवार मैं।

देखना है देख लो ,
तुम भी माथा टेक लो ,
शिव हूँ  मैं , मोहम्मद मैं,
मक्का हूँ , हरिद्वार मैं।।