Thursday, November 28, 2013

जाने दो यादों को, इन्हे रोको नहीं

जाने दो यादों को, इन्हे  रोको नहीं,
बहोत दूर इन्हे अभी चलना पड़ेगा।
कुछ इस रास्ते बिखरेंगे,
कुछ उस रास्ते बिछड़ेंगे,
कुछ को मन ही में टहलना पड़ेगा।

 
कुछ भूले हुए दोस्तों के अधूरे से याद,
कुछ चेहरे, कुछ गलियां,
कुछ सड़कें आज़ाद,
 खयालों, ख्वाबों कि अंगराईओं में,
इन सभी को करवट बदलना पड़ेगा।
 
होठों के कोने में मुस्कराती हुई  याद,
पलकों के कोने में छलछलाती हुयी याद,
ठहाकों कि गूँजे या
आँसू कि बूंदे बन,
दोनो को टप टप टपकना पड़ेगा।



किताबों के पन्नों में रखे हुए याद,
मनमोर बन बारिश में नाचा  करेंगे,
कुछ नाव  चलेंगे, कुछ पाँव चलेंगे,
उस वक़्त यादों कि पोटली संभाले,
राही तुम्हे दूर निकलना पड़ेगा।


यादों के बिस्तर पे, यादें लपेटे 
यादों के सपने देखा करेंगे,
परदे में उलझी चाँदनी छुड़ाके
तकिये पे तेरी फ़ेंका करेंगे 
यादों की चुंबन से खुद को बचाने 
बाँहों में मेरी तुमको मचलना पड़ेगा।