कश्तियाँ तूफ़ान से डरतीं तो लहरों का आलिंगन कहाँ करतीं ।
ज़िन्दगी किनारों पे बैठ कर नहीं जिया करते ।
गर सांस का आना ज़िन्दगी है तो सांस का जाना भी ज़िन्दगी है ।
फेफड़ों में भरके हवा होंठ नहीं सिया करते ।
लौ अगर जली ही नहीं कि जल जाऊँगी, तो उसकी किस्मत में बस अँधेरा है ।
बुझे बुझे से दिये रौशनी नहीं दिया करते ।
धूप से डरता है तू तो उजाला क्या देखेगा ।
धूप के बिना तो पेड़ छाओं भी नहीं किया करते ।
1 comment:
bahut khooob!
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