निकले थे इक राह में हम
ये सोच कर सामने मंजिल है
कुछ और चले तो पता चला
के रास्ता ही मंजिल है।
कुछ दूर तक अँधेरा है
कुछ और राह ये बोझिल है
बढे चलो तुम बढे चलो
आगे सड़क ये झिलमिल है।
रुको नहीं, मत ये सोचो
हमे यहाँ क्या हासिल है
चले चलो, तुम चले चलो
यहाँ कदम कदम एक मंजिल है।
अगर मिले कहीं दोराहे,
कोई एक राह पकड़ लेना
इस राह भी कोई मंजिल है
उस राह भी कोई मंजिल है।
अगर लगे एकाकी मन
और समझ न आये क्या करें
कुछ दोस्त तुम बना लेना
दोस्त यहाँ बड़े अच्छे है, दोस्त यहाँ दरियादिल हैं।
2 comments:
SEO
very hhwndy, thanx a lot for this articlle .... This was what I was looking for.
Hi Prabhash,
Its been pleasure knowing you as a poet & a optimist .if i have to talk about literature its like "words have blood flow in it" its live & way to live normal & happier life..By Suraj Srivastava
Post a Comment