कभी सोचा कि किसकी पूजा होती है कैसी
के अलग अलग मन्दिर में जाते हैं सब।
जब डुबकी गंगा मे लगाए है पण्डित,
मुर्गा देता देखो बांग गज़ब।
और यही नहीं है बात अनोखी
और पूजारी है बिचरे ब्रम्हाण्ड।
कि देखो है कैसा सबका ये संगी,
न हिन्दू , न मुसलमां है मेरा चाँद।
देखो कैसा रंग चढ़ा है,
उजला उजला सौम्य बहोत।
क्या शर्माता ईद में ये है
और क्या इतराता करवाचौथ।
हाँ , न हिन्दू , न मुसलमां है मेरा चाँद,
पर क्यूँ हिन्दू न मुसलमां है मेरा चाँद।
के अलग अलग मन्दिर में जाते हैं सब।
जब डुबकी गंगा मे लगाए है पण्डित,
मुर्गा देता देखो बांग गज़ब।
और यही नहीं है बात अनोखी
और पूजारी है बिचरे ब्रम्हाण्ड।
कि देखो है कैसा सबका ये संगी,
न हिन्दू , न मुसलमां है मेरा चाँद।
देखो कैसा रंग चढ़ा है,
उजला उजला सौम्य बहोत।
क्या शर्माता ईद में ये है
और क्या इतराता करवाचौथ।
हाँ , न हिन्दू , न मुसलमां है मेरा चाँद,
पर क्यूँ हिन्दू न मुसलमां है मेरा चाँद।
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