Thursday, July 31, 2014

बातें कुछ अनकही सी

मेरा जहाँ है आज अलग
माँ का अलग है आज जहाँ ,
तारे मगर सब एक ही हैं
एक ही है आसमान।

सारे लम्हे साथ जिये हम,
ये तो मुमकिन ही नहीं
एक चाय और याद करें हम
पुरानी होली और रमज़ान।

नीले पीले गुलाबी स्वेटर
मख्खन जीन्स की एक वो पैंट
चाऊमीन के स्टॉल, पंजाबी वाले
दुर्गा पूजा कि अनोखी शान । 

एक गर्म रोटी, रसोई में जो खायी थी,
एक भीगी सी शर्दी, एक तंग रज़ाई थी,
एक गीले गोबर का फर्श ,
एक छोटा सा अपना मकान।।





 

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