तोड़ दो मस्ज़िद, बना लो मंदिर
पर राम कहाँ से लाओगे,
जब उसी मंदिर में एक मासूम को
नोच नोच कर खाओगे।
पर राम कहाँ से लाओगे,
जब उसी मंदिर में एक मासूम को
नोच नोच कर खाओगे।
बांध के साफा, पहन के भगवा
पूजा की थाल सजाओगे,
पर नंगापन जब मन मे ही है
तो आरती खाक तुम गाओगे।
पूजा की थाल सजाओगे,
पर नंगापन जब मन मे ही है
तो आरती खाक तुम गाओगे।
पी लो सारी आज गंगाजल तुम
एक चुल्लू में मोक्ष न पाओगे,
जब आंख का पानी सूख चुका है
तो गंगा कहाँ नहाओगे।
एक चुल्लू में मोक्ष न पाओगे,
जब आंख का पानी सूख चुका है
तो गंगा कहाँ नहाओगे।
जलते क़ुरानो की चिता पर
आज गीता तुमने जलाई है,
धर्म की दुहाई दी है तुमने,
लेकिन धर्म की राख बनाई है।
आज गीता तुमने जलाई है,
धर्म की दुहाई दी है तुमने,
लेकिन धर्म की राख बनाई है।
जिंदा लाश साथ लिए अब
कौन सा तीर्थ तुम जाओगे,
मुर्दा लोगों की मुर्दा बस्ती में
मुर्दाघर ही तो बसाओगे।।
कौन सा तीर्थ तुम जाओगे,
मुर्दा लोगों की मुर्दा बस्ती में
मुर्दाघर ही तो बसाओगे।।
2 comments:
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