बीते हुए कल की यादें बसी हैं इनमें ,
ज़ुल्फ़ों की सफ़ेदी को यूँ छुपाया न कीजे।
त्वचा की हर सिलवट मे बसेरा है मेरी छुअन का,
की याद उन्हे कर के यूँ शर्मायान कीजे।
कभी रूठने मनाने का सिलसिला जी के देंखे ,
यूँ हमे देख के हमेशा मुस्कुराया न कीजे।
साख़ से सूखे पत्ते से गिर जायेंगे एक दिन ,
मौत जो सच है उस से दामन छुड़ाया न कीजे।
ज़ुल्फ़ों की सफ़ेदी को यूँ छुपाया न कीजे।
त्वचा की हर सिलवट मे बसेरा है मेरी छुअन का,
की याद उन्हे कर के यूँ शर्मायान कीजे।
कभी रूठने मनाने का सिलसिला जी के देंखे ,
यूँ हमे देख के हमेशा मुस्कुराया न कीजे।
साख़ से सूखे पत्ते से गिर जायेंगे एक दिन ,
मौत जो सच है उस से दामन छुड़ाया न कीजे।
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