Saturday, March 21, 2015

मोहब्बत हर लम्हा (Originally Twitted on January 20, 2015)

आँखों से छलकती रही मोहब्बत हर लम्हा,
साँसों में महकती रही मोहब्बत हर लम्हा ,
ख़्वाहिशों से करो न तुम उम्र का हिसाब ,
घरों में जमा हो मोहब्बत हर लम्हा।

चहकती रही चिड़िया तूने न सुनी,
सुबह की धुप भी चेहरे पे न ली,
अंगड़ाईयों जम्हाईयों में न गुज़ारा एक दिन,
फ़िर भी कहते हो गुज़ारा हर लम्हा।



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