Saturday, March 21, 2015

इतना सा फ़साना है। (Originally Twitted on March 4, 2015)

उम्मीदों को पहनो न यूँ ताबीज़ बना के,
दिल टूटने से बचने का ये नुस्खा पुराना है।
टूटने दो, बिखरने दो, बहने दो इन्हे ,
नई उम्मीदें पनपने का ये तो बस बहाना है।
अनकही बात न हो, अनछुई रात न हो,
दिलो को तोड़ दें ऐसे ज़ज़्बात न हो,
ज़िन्दगी का लिखा इतना सा फ़साना है।




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